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India China Agreement 1993 in Hindi

6 Apr , 2023,
admin
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India China Agreement 1993 समझौता क्या था?

भारत और चीन दो बड़े देश होने के साथ-साथ दो विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं को आबंटित करने वाले हैं। यहां तक ​​कि भारत और चीन के बीच कुछ व्यापक समझौते हो चुके हैं जो दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ावा देते हैं। इसी तरह, भारत-चीन समझौता 1993 एक ऐसा समझौता है जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूती देने के लिए किया गया था।

इस समझौते को “मार्च 1993 समझौता” भी कहा जाता है जिसे भारत और चीन के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के बारे में बताने के लिए बहुत कुछ है।

समझौते के प्रमुख बिंदु:

समझौते में दोनों देशों के बीच सीमा विवादों को हल करने का प्रयास किया गया था। इस समझौते के अंतर्गत, दोनों तरफ सीमा क्षेत्रों में सैन्य वास्तवकल्पों को तय करने के लिए एक कार्यसूची बनाई गई थी। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच व्यापार, वित्तीय और कला-संस्कृति के क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा दिया गया था।

समझौते में दोनों देशों के बीच सीमा क्षेत्रों में सैन्य प्रवेश को रोकने की बात कही गई थी, जो अब तक संज्ञान में आया है।

समझौते के अंतर्गत प्रशिक्षण और जानकारी आदान-प्रदान के लिए विभिन्न कला, साहित्य और व्यवसाय परिसरों का आयोजन किया जाएगा।

इस समझौते के द्वारा दोनों देशों के बीच विशेषज्ञों के बीच संचार बढ़ाया जाएगा।

समझौते के तहत स्वतंत्र राष्ट्रों के तत्त्वों का आदर किया जाएगा।

समझौते के महत्व:

भारत और चीन के बीच संबंधों को सुधारने के लिए यह समझौता एक महत्वपूर्ण कदम था। इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों के बीच समझौते को मजबूत करने का प्रयास किया गया था और समस्याओं के समाधान के लिए संयुक्त प्रयास किए गए थे।

समझौते के माध्यम से, समय के साथ दोनों देशों के बीच भाईचारे का माहौल फैला रहा है। दो देशों के बीच सद्भाव का माहौल बना रहना बहुत जरूरी है और समझौते के माध्यम से यह संभव हो रहा है।

इस समझौते को समझने के लिए यह भी जानना जरूरी है कि संबंधों को सुधारने के लिए एक समझौता होना ही काफी नहीं होता है। समझौते को उत्पादक बनाने और संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों के बीच निरंतर प्रयास करना होगा।

इसलिए, आज भी दो देशों के बीच कुछ सीमा विवाद हैं जिन्हें समझौते के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनाने के लिए इस समझौते के मूल उद्देश्य के अनुसार प्रयास करना चाहिए।

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